karwa chauth vrat katha in hindi, Punjabi, Gujrati, Marathi PDF Download : इस लेख में हम करवा चौथ की बात करेंगे, जैसे की करवा चौथ कब है? साथ ही करवा चौथ की कहानी या कथा और आरती को PDF डाउनलोड (Karva Chauth Vrat Katha PDF) का लिंक प्रदान करेंगे। लोग सोचते हैं की करवा चौथ की पूजा कैसे करते हैं?
करवा चौथ व्रत कथा/कहानी PDF
आर्टिकल | करवा चौथ व्रत कथा PDF |
व्रत कब लिया जाता है | कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी |
करवा चौथ तिथि | |
उदेश्य | पति की लंबी आयु के लिए |
करवा चौथ व्रत समय | |
करवा चौथ पूजा शुभ मुहूर्त | |
चाँद दिखने का समय (चंद्रोदय) | |
Download Karva Chauth Vrat Katha PDF |
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ व्रत रखा जाता है। इस साल करवा चौथ 13 अक्टूबर को है। यह व्रत सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। इस दिन महिलाएं महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और रात को चंद्रमा दर्शन के बाद व्रत पारण करती हैं।और चौथ माता की कहानी इन हिंदी का पाठ करती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से पति को लंबी आयु प्राप्त होती है और वैवाहिक जीवन खुशहाल होता है। आप नीचे दिए गए फ्री डाउनलोड के लिंक के माध्यम से Karva Chauth Vrat Katha PDF In Hindi डाउनलोड कर सकते हो।
करवा चौथ पूजा- विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
स्नान करने के बाद मंदिर की साफ- सफाई कर ज्योत जलाएं।
देवी- देवताओं की पूजा- अर्चना करें।
निर्जला व्रत का संकल्प लें।
इस पावन दिन शिव परिवार की पूजा- अर्चना की जाती है।
सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
माता पार्वती, भगवान शिव और भगवान कार्तिकेय की पूजा करें।
करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा की पूजा की जाती है।
चंद्र दर्शन के बाद पति को छलनी से देखें।
इसके बाद पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत तोड़ा जाता है।
ਕਰਵਾ ਚੌਥ ਵਰਤ ਦੀ ਕਹਾਣੀ PDF Download
करवा चौथ व्रत की कहानी
एक साहूकार के एक पुत्री और सात पुत्र थे। करवा चौथ के दिन साहूकार की पत्नी, बेटी और बहुओं ने व्रत रखा। रात्रि को साहूकार के पुत्र भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन करने के लिए कहा।
बहन बोली- “भाई! अभी चन्द्रमा नहीं निकला है, उसके निकलने पर मैं अर्घ्य देकर भोजन करूंगी।” इस पर भाइयों ने नगर से बाहर जाकर अग्नि जला दी और छलनी ले जाकर उसमें से प्रकाश दिखाते हुए बहन से कहा- “बहन! चन्द्रमा निकल आया है। अर्घ्य देकर भोजन कर लो।”
बहन अपनी भाभियों को भी बुला लाई कि तुम भी चन्द्रमा को अर्घ्य दे लो, किन्तु वे अपने पतियों की करतूतें जानती थीं।
उन्होंने कहा- “बाईजी! अभी चन्द्रमा नहीं निकला है। तुम्हारे भाई चालाकी करते हुए अग्नि का प्रकाश छलनी से दिखा रहे हैं।
किन्तु बहन ने भाभियों की बात पर ध्यान नहीं दिया और भाइयों द्वारा दिखाए प्रकाश को ही अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार व्रत भंग होने से गणेश |
जी उससे रुष्ट हो गए। इसके बाद उसका पति सख्त बीमार हो गया और जो कुछ घर में था, उसकी बीमारी में लग गया। साहूकार की पुत्री को जब अपने दोष का पता लगा तो वह पश्चाताप से भर उठी।
गणेश जी से क्षमा प्रार्थना करने के बाद | उसने पुनः विधि-विधान से चतुर्थी का व्रत करना आरम्भ कर दिया। श्रद्धानुसार सबका आदर-सत्कार करते हुए, सबसे आशीर्वाद लेने में ही उसने मन को लगा दिया।
इस प्रकार उसके श्रद्धाभक्ति सहित कर्म को देख गणेश जी उस पर प्रसन्नहो गए। उन्होंने उसके पति को जीवनदान दे उसे बीमारी से मुक्त करने के पश्चात् धन-सम्पत्ति से युक्त कर दिया।
इस प्रकार जो कोई छल-कपट से रहित श्रद्धाभक्तिपूर्वक चतुर्थी का व्रत करेगा, वह सब प्रकार से सुखी होते हुए कष्ट-कंटकों से मुक्त हो जाएगा।
Karwa Chauth Aarti Download
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।। ओम जय करवा मैया।
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी।।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती।।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।