(Saraswati Vandana PDF) सरस्वती वंदना इन हिंदी PDF

Saraswati Vandana PDF | सरस्वती वंदना पीडीएफ हिंदी डाउनलोड का लिंक आपको नीचे प्रदान किया गया है। आपको पता ही होगा माता सरस्वती जी को ज्ञान, कला तथा संगीत की देवी माना जाता हैं यह ब्रह्मा जी की मानसपुत्री है। इनका जन्म दिवस बसंत पंचमी के दिन ही मनाया जाता है इस दिन माता सरस्वती जी आराधना करने से ज्ञान में वृद्धि होती है। माता की भक्ति करने के लिए कई प्रकार के गीत व वंदना है। जिनके माध्यम से आप माता प्रसन्न कर उनका आशीष प्राप्त कर सकते हो।

Saraswati Vandana Hindi PDF

भारतीय समाज में मां सरस्वती की पूजा का महत्व प्राचीन काल से ही माना जाता रहा है। यही कारण है कि उनके वंदना के अधिकांश श्लोक संस्कृत में हैं। हिंदी कवि सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” द्वारा ‘वीनावादिनी वर दे’ की रचना के बाद से लोग उन्हें हिंदी में पूजते रहे हैं। सरस्वती वंदना हिंदी पीडीएफ नीचे दिए गए लिंक के माध्यम से डाउनलोड करें।

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<== सरस्वती वंदना ==>

वर दे, वीणावादिनि वर दे !
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
भारत में भर दे !

काट अंध-उर के बंधन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर;
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे !

नव गति, नव लय, ताल-छंद नव
नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव;
नव नभ के नव विहग-वृंद को
नव पर, नव स्वर दे !

वर दे, वीणावादिनि वर दे।
 – सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”

<== सरस्वती पूजा मंत्र ==>

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥

शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥
हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्‌।
वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्‌॥2॥

<== माँ सरस्वती जी की आरती ==>

ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ॐ जय..

चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी।
सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥ ॐ जय..

बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला।
शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला ॥ ॐ जय..

देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥ ॐ जय..

विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो ॥ ॐ जय..

धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥ ॐ जय..

मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें।
हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें ॥ ॐ जय..

जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ॐ जय..

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