Somvati Amavasya Vrat Katha Pooja Vidhi In Hindi PDF

सोमवती अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। इस वर्ष सोमवती अमावस्या व्रत 17 जुलाई को मनाई जाएगी। मान्यता के अनुसार इस दिन तीर्थ स्थान पर जाकर स्नान-दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिये पितरों का श्राद्ध और तर्पण भी किया जाता है। सोमवती अमावस्या के उत्सव पर भगवान शिव को व्रत द्वारा प्रसन्न किया जाता है। यदि आप भी सोमवती अमावस्या कथा व पूजा विधि की जानकारी पीडीएफ में पाना चाहते हैं, तो इस आर्टिकल को अंत तक पूरा पढ़ें।

सोमवती अमावस्या व्रत, पूजन विधि हिंदी PDF

सोमवती अमावस्या के दिन महिलाएं अपनी संतान और जीवनसाथी की दीर्घ आयु के लिए व्रत रखती हैं। जिसमे वे पीपल के पेड़ की पूजा करती हैं। माना जाता है की पीपल के वृक्ष के मूल भाग में भगवान विष्णु, अग्रभाग में ब्रह्मा और तने में भगवान शिव का वास होता है। जिस कारण सोमवती अमावस्या के दिन महिलाएं पीपल के वृक्ष की पूजा करती हैं। और यह व्रत (Somavati Amavasya Vrat) कोई भी व्यक्ति रख सकता है। सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव का अभिषेक करने से भगवान शिव द्वारा सौभाग्य का वरदान प्राप्त किया जाता है। Somavati Amavasya Vrat & Pooja Vidhi PDF में पाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

आर्टिकल सोमवती अमावस्या व्रत कथा, पूजन विधि
वर्ष 2024
सोमवती अमावस्या तर्पण, व्रत व पूजन तिथि  
लाभ पति की लम्बी उम्र व पितरों की शांति
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सोमवती अमावस्या व्रत कथा

एक गरीब ब्रह्मण परिवार था, जिसमे पति, पत्नी के अलावा एक पुत्री भी थी। पुत्री धीरे धीरे बड़ी होने लगी। उस लड़की में समय के साथ सभी स्त्रियोचित गुणों का विकास हो रहा था। लड़की सुन्दर, संस्कारवान एवं गुणवान भी थी, लेकिन गरीब होने के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था। एक दिन ब्रह्मण के घर एक साधू पधारे, जो कि कन्या के सेवाभाव से काफी प्रसन्न हुए। कन्या को लम्बी आयु का आशीर्वाद देते हुए साधू ने कहा की कन्या के हथेली में विवाह योग्य रेखा नहीं है। ब्राह्मण दम्पति ने साधू से उपाय पूछा कि कन्या ऐसा क्या करे की उसके हाथ में विवाह योग बन जाए। साधू ने कुछ देर विचार करने के बाद अपनी अंतर्दृष्टि से ध्यान करके बताया कि कुछ दूरी पर एक गाँव में सोना नाम की धूबी जाती की एक महिला अपने बेटे और बहू के साथ रहती है, जो की बहुत ही आचार- विचार और संस्कार संपन्न तथा पति परायण है। यदि यह कन्या उसकी सेवा करे और वह महिला इसकी शादी में अपने मांग का सिन्दूर लगा दे, उसके बाद इस कन्या का विवाह हो तो इस कन्या का वैधव्य योग मिट सकता है। साधू ने यह भी बताया कि वह महिला कहीं आती जाती नहीं है। यह बात सुनकर ब्रह्मणि ने अपनी बेटी से धोबिन कि सेवा करने कि बात कही।

कन्या तडके ही उठ कर सोना धोबिन के घर जाकर, सफाई और अन्य सारे करके अपने घर वापस आ जाती। सोना धोबिन अपनी बहू से पूछती है कि तुम तो तडके ही उठकर सारे काम कर लेती हो और पता भी नहीं चलता। बहू ने कहा कि माँजी मैंने तो सोचा कि आप ही सुबह उठकर सारे काम ख़ुद ही ख़तम कर लेती हैं। मैं तो देर से उठती हूँ। इस पर दोनों सास बहू निगरानी करने करने लगी कि कौन है जो तडके ही घर का सारा काम करके चला जाता हा। कई दिनों के बाद धोबिन ने देखा कि एक एक कन्या मुँह अंधेरे घर में आती है और सारे काम करने के बाद चली जाती है। जब वह जाने लगी तो सोना धोबिन उसके पैरों पर गिर पड़ी, पूछने लगी कि आप कौन है और इस तरह छुपकर मेरे घर की चाकरी क्यों करती हैं। तब कन्या ने साधू द्बारा कही गई साड़ी बात बताई। सोना धोबिन पति परायण थी, उसमें तेज था। वह तैयार हो गई। सोना धोबिन के पति थोड़ा अस्वस्थ थे। उसमे अपनी बहू से अपने लौट आने तक घर पर ही रहने को कहा। सोना धोबिन ने जैसे ही अपने मांग का सिन्दूर कन्या की मांग में लगाया, उसके पति गया। उसे इस बात का पता चल गया। वह घर से निराजल ही चली थी, यह सोचकर की रास्ते में कहीं पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसे भँवरी देकर और उसकी परिक्रमा करके ही जल ग्रहण करेगी। उस दिन सोमवती अमावस्या थी। ब्रह्मण के घर मिले पूए- पकवान की जगह उसने ईंट के टुकडों से १०८ बार भँवरी देकर १०८ बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की और उसके बाद जल ग्रहण किया। ऐसा करते ही उसके पति के मुर्दा शरीर में कम्पन होने लगा।

सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव का अभिषेक

  • सोमवती अमावस्या के दिन प्रातः भगवान शिव का ध्यान करते हुए स्नान करें।
  • स्नान के बाद शिवालय जाकर जल में दूध मिलाकर शिवजी का अभिषेक करें।
  • इसके बाद बेलपत्र और धतूरे को शिवजी को अर्पित करें।
  • यदि आप शिवालय जा सकते हैं, तो आप घर पर ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर इनका अभिषेक कर सकते हैं।
  • जो लोग घर में पारद शिवलिंग स्थापित करना चाहते हैं वह इस शुभ संयोग का लाभ उठा सकते हैं।

सोमवती अमावस्या पर दान पुण्य और तर्पण

  • सोमवती अमावस्या के दिन अन्न का दान करना शुभ माना जाता है, आप अपनी श्रद्धा अनुसार चावल दाल नमक तिल आदि का भी दान कर सकते हैं।
  • सोमवती अमावस्या का दिन पितृ तर्पण के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है, इसलिए दोपहर के समय पितरों की शांति के लिए पूजा करें। जिससे आप पितृ दोष से मुक्ति पा सकते हैं।

सोमवती अमावस्या व्रत पूजा विधि

  • इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं। जिसमे सबसे पहले प्रात: काल उठकर नित्य कर्म तथा स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहने।
  • इसके बाद आपको सभी पूजन सामग्री लेके पीपल के वृक्ष पर जाना होगा।
  • यहां आपको पीपल की जड़ में लक्ष्मी नारायण की स्थापना करके दूध /जल अर्पित करना होगा।
  • इसके बाद आपको भगवान का ध्यान करके पुष्प, अक्षत, चन्दन, भोग, धूप इत्यादि अर्पण करना होगा।
  • अब आपको पेड़ के चारों ओर “ॐ श्री वासुदेवाय नम: ” बोलते हुए 108 बार परिक्रमा करनी होगी।
  • परिक्रमा पूरी होने के बाद आपको सोमवती अमावस्या व्रत कथा का स्रवण करना होगा।
  • इस व्रत के दौरान आपको मूली और रूई का स्पर्श नहीं करना होता है।
  • इस प्रकार आप सोमवती अमावस्या व्रत पूजा कर आप पुत्र, पौत्र ,धन, धान्य तथा सभी मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं।

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